रतन टाटा की 10,000 करोड़ की संपत्ति का बंटवारा: शांतनु नायडू और प्यारे डॉग टीटो को मिला विशेष स्थान

मुंबई, 26 अक्टूबर 2024 - टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा की वसीयत का खुलासा हो गया है। रतन टाटा, जिनका निधन 9 अक्टूबर 2024 को हुआ, ने 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ी है। उनकी वसीयत में उनके करीबी लोगों, जैसे शांतनु नायडू और उनके प्यारे कुत्ते टीटो का विशेष उल्लेख है।

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रतन टाटा एक सम्मानित व्यवसायी और परोपकारी व्यक्ति थे। उन्होंने 1990 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष रहे। उनके निधन के बाद, उनकी विशाल संपत्ति के बंटवारे को लेकर कई सवाल उठे थे।

शांतनु नायडू का विशेष स्थान

शांतनु नायडू, जो रतन टाटा के करीबी सहयोगी थे, को वसीयत में विशेष स्थान दिया गया है। नायडू, जिन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से एमबीए किया है, 2017 से टाटा ट्रस्ट्स के साथ काम कर रहे हैं। वह अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं जो टाटा समूह के साथ काम कर रही है। नायडू अपने उद्यम, गुडफेलोज, के लिए जाने जाते हैं, जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए साथी सेवाएं प्रदान करता है। रतन टाटा ने इस उद्यम में निवेश किया था और नायडू के प्रयासों का समर्थन किया था।

वसीयत में, रतन टाटा ने गुडफेलोज में अपनी हिस्सेदारी नायडू को दे दी है। उन्होंने नायडू के शिक्षा ऋण को भी माफ कर दिया है। यह इशारा टाटा और नायडू के बीच गहरे बंधन को दर्शाता है। उनकी दोस्ती जानवरों के प्रति साझा प्रेम पर आधारित थी। टाटा नायडू की पशु कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता से प्रभावित थे और उनके प्रयासों का समर्थन करते थे।

प्यारे कुत्ते टीटो

रतन टाटा की वसीयत में उनके जर्मन शेफर्ड कुत्ते, टीटो का भी उल्लेख है। टीटो को टाटा ने अपने निधन से कुछ महीने पहले गोद लिया था। टाटा की वसीयत सुनिश्चित करती है कि टीटो का अच्छी तरह से ख्याल रखा जाएगा। टीटो की देखभाल की जिम्मेदारी टाटा के रसोइये, राजन शॉ को दी गई है। टाटा ने टीटो की देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण राशि छोड़ी है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कुत्ता आराम से जीवन व्यतीत कर सके।

परिवार और स्टाफ

रतन टाटा की वसीयत में उनकी सौतेली बहनें, शिरीन और डायना जीजीभॉय, और उनके भाई, जिमी टाटा का भी उल्लेख है। उन्होंने अपने वफादार घरेलू स्टाफ को भी याद किया है। टाटा के बटलर, सुब्बैया, जो कई वर्षों से उनके साथ थे, को भी संपत्ति का हिस्सा दिया गया है। टाटा की वसीयत उनके प्रति आभार व्यक्त करती है जिन्होंने उन्हें वफादारी से सेवा दी।

संपत्तियां और वितरण

रतन टाटा की संपत्तियों में अलीबाग में 2,000 वर्ग फुट का बंगला, मुंबई के जुहू में दो मंजिला घर और 350 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट शामिल हैं। उनके पास टाटा संस, टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी, में 0.83% हिस्सेदारी भी थी। यह हिस्सेदारी रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को हस्तांतरित की जाएगी। टाटा की वसीयत सुनिश्चित करती है कि उनके चैरिटेबल ट्रस्ट उनकी संपत्ति से लाभान्वित होते रहें।

परोपकार की विरासत

रतन टाटा अपने परोपकारी प्रयासों के लिए जाने जाते थे। वह समाज को वापस देने और जरूरतमंदों का समर्थन करने में विश्वास करते थे। उनकी वसीयत इस विश्वास को दर्शाती है। अपने परिवार, करीबी सहयोगियों और वफादार स्टाफ को शामिल करके, टाटा ने सुनिश्चित किया है कि उनकी संपत्ति का उपयोग दूसरों का समर्थन और उत्थान करने के लिए किया जाएगा।

निष्कर्ष

रतन टाटा की वसीयत उनकी उदारता और दयालुता का प्रमाण है। यह उनके आसपास के लोगों के साथ गहरे संबंधों और उनकी भलाई के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। शांतनु नायडू और टीटो, साथ ही टाटा का परिवार और स्टाफ, उनकी विरासत से लाभान्वित होते रहेंगे। रतन टाटा का जीवन और कार्य आने वाले वर्षों तक याद किए जाएंगे।

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